कश्मीर के हालात, पत्थरबाजी और 2019 के आम चुनाव जैसे मुद्दों पर भाजपा महासचिव और जम्मू–कश्मीर के प्रभारी ने रखी अपनी बात।
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी सरकार से समर्थन वापसी, आम चुनाव 2019, धारा 370, आतंकियाें और कश्मीरी पंडितों जैसे अहम मुद्दों पर भाजपा महासचिव और जम्मू-कश्मीर-पूर्वोत्तर के प्रभारी राममाधव से भास्कर ने भाजपा मुख्यालय में बातचीत की। घाटी में पंडितों को बसाने को लेकर माहौल के बारे में पूछने पर उन्होंने जवाब दिया कि आज हम इस बारे में भरोसे से नहीं कह सकते। एक सवाल के जवाब में सर्जिकल स्ट्राइक को कामयाब बताते हुए उन्होंने कहा कि उसका ही नतीजा है कि एक समय कश्मीर में तीन हजार आतंकी थे, आज 300 भी नहीं हैं।
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- कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापस क्यों लिया? पार्टी इसकी कोई ठोस वजह नहीं बता पाई है?
- गठबंधन तीन मुख्य उद्देश्य से किया था। पहला- बिना किसी समझौते के आतंक से मुक्ति लाना, दूसरा- अच्छा प्रशासन, भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देना और तीसरा, अच्छा विकास करना। गठबंधन का एजेंडा देखेंगे तो ये तीन बातें प्रमुखता से दिखेंगी। हमने कहा था कि विचारधारा के मुद्दों पर कुछ विरोध है, लेकिन इन तीनों पर हमारी सहमति है। आतंक के खिलाफ लड़ाई में अच्छा कर ही रहे थे। तीन वर्षों में छह सौ से ज्यादा आतंकियों को फोर्स ने मार गिराया। केंद्र सरकार ने 80 हजार करोड़ रुपए दिए। फिर भी विकास में, सुशासन में मित्र दल (पीडीपी) पूर्ण रूप से नहीं लग रहा था। इतने पर भी इस दिशा में आगे नहीं बढ़ते हैं तो गठबंधन का मतलब नहीं है। हमने जम्मू-कश्मीर में सरकार छोड़ी है, जम्मू-कश्मीर नहीं छोड़ा है।
- आप कश्मीर में हर निर्णय में साथ रहे और अब जिम्मेदारी के मौके पर, चुनाव के समय पूरा दोष पीडीपी को देकर समर्थन वापस ले लिया?
A. बिल्कुल गलत है। चुनाव की दृष्टि से ही देखें तो सरकार छोड़ने से फायदा नहीं होता, बल्कि सरकार में रहने से होता है। इसलिए समर्थन वापसी के पीछे न चुनावी और न ही राजनीतिक कारण था। ड्राइविंग सीट पर पीडीपी थी। मुख्यमंत्री उनकी थीं। जम्मू में हम फिर भी कुछ कर पा रहे थे, हमारे मंत्री जितना संभव था, उतना अच्छा कार्य कर रहे थे।
- तो क्या वहां भ्रष्टाचार था?
A. मैं किसी एक व्यक्ति की बात या राजनीतिक नेतृत्व के दोष के बारे में नहीं कह रहा हूं। राज्य प्रशासन में भ्रष्टाचार धीरे-धीरे बढ़ रहा है, ऐसे आरोप लगने लगे। उस पर नियंत्रण लाना था।
- सीजफायर में क्या आपकी सहमति थी?
A. पहले हम जैसे लोग पक्ष में नहीं थे। पर सरकार के प्रमुख लोग, सिक्योरिटी स्टेब्लिशमेंट, गृह मंत्रीजी ने पूरा विचार करके निर्णय लिया कि एक महीने का अवसर देंगे। इसलिए हमने सोचा कि अच्छी प्रतिक्रिया उधर से मिलेगी। आतंकी से तो अच्छी प्रतिक्रिया मिलनी नहीं है, वो तो आतंकी है। पर सोचा था कि हुर्रियत जैसे अलगाववादी इसे अवसर के रूप में लेंगे। अनुभव यह रहा कि एक महीने में आतंकी लोगों को मारते गए। पुलिस स्टेशन में बैठा बेगुनाह पुलिसवाला, जो कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहा था, उसको मार डाला। प्रख्यात पत्रकार शुजात बुखारी को मारा। अलगाववादियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हमने कमजोरी में सीजफायर नहीं किया, ताकत से किया। सीजफायर का पूरा निर्णय सामूहिक है।
- घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी पर साढ़े तीन सालों में एक शब्द भी नहीं बोले?
A. बिल्कुल गलत है। कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए मुफ्ती साहब जब मुख्यमंत्री थे उसी समय से उन ग्रुप के साथ मीटिंग शुरू हुई। आज घाटी में सुरक्षा हालात तुरंत वापसी करवाने के हैं क्या? इसमें पूर्ण रूप से हम आश्वस्त नहीं है। महबूबाजी ने बीजेपी को बाहर रखा, लेकिन उन्होंने खुद बातचीत शुरू की। जितने भी पंडित कर्मचारी हैं, उनके लिए कॉलोनियां बनाई गईं। मैं आज वास्तविकता बताता हूं, कॉलोनियां होने पर भी वहां जाकर रहने की सुरक्षा की स्थिति है क्या? इस पर आज हम भरोसे से कह नहीं सकते। घाटी में विशेषकर दक्षिण कश्मीर में आतंक का माहौल है। इसमें अल्पसंख्यकों के लिए चिंता का माहौल है।
- धारा 370 पर भी कुछ नहीं हुआ?
A. हम बार-बार यही कह रहे हैं कि धारा 370 के विषय में बीजेपी की प्रतिबद्धता कायम है। पर उसका निर्णय जम्मू-कश्मीर सरकार नहीं करेगी। उसका निर्णय होता है, यहां पर (दिल्ली में)। राष्ट्रपतिजी, प्रधानमंत्रीजी या संसद के स्तर पर निर्णय होना है। बीजेपी का मत स्पष्ट है।
- कश्मीर में पत्थरबाज छोड़े गए, इस पर भी तो कुछ नहीं कहा?
A.इसे सही ढंग से समझना चाहिए। पहली बार पत्थरबाजी करने वालों पर से एफआईआर वापस करने का निर्णय हुआ। ये समझना चाहिए कि पत्थरबाज जेल में नहीं रहता है। पत्थरबाजी करता है, एफआईआर होती है, जेल जाता है, बेल मिल जाती है और बाहर आ जाता है। 99 फीसदी केसों में वो लड़के बाहर ही हैं। तीन-चार साल में दोबारा पत्थरबाजी नहीं की, पहले एक बार किसी कारण से की थी। कई की उम्र 14, 15, 16 साल है, तो केंद्र और राज्य सरकार ने सोचा कि इनको एक अवसर देंगे। जिन्होंने दूसरी बार पत्थरबाजी की उन पर से एफआईआर वापस नहीं हुई। ये सरकार का निर्णय था। राज्य की पार्टी का मत इसके विपरीत था।
- कश्मीर राजनीतिक समस्या है, सोशल समस्या है या सिक्योरिटी की समस्या है?
A. कश्मीर में आतंक की समस्या है। जिस दिन आतंक खत्म हो जाएगा बाकी सारे मुद्दों को हल किया जा सकता है। बंदूक-हथियार हाथ में लेना कश्मीर की असली समस्या है। हमारा लक्ष्य है, आखिरी आतंकी को भी खत्म करना।
- आतंक अगर समस्या है तो वहां कोई ऐसा राज्यपाल क्यों नहीं है जो इसका जानकार हो। वहां जो राज्यपाल पिछले 10 साल से हैं वे तो नौकरशाह हैं?
A. वहां आतंक से लड़ने के लिए आर्मी, पैरामिलिट्री फोर्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रशासन सभी लगे हैं। एक व्यक्ति से जम्मू-कश्मीर नहीं चलता है।
- संघ से आने के बावजूद आपने पूर्वोत्तर व जम्मू–कश्मीर का प्रभारी रहते भाजपा की विचारधारा के िखलाफ रहे दलों से समझौता किया। क्या सत्ता पार्टी के लिए इतनी बड़ी चीज हो गई है?
A. विचारधारा से एकदम विपरीत समझौता करने की परिस्थिति केवल जम्मू-कश्मीर में बनी। वहां हमारे सामने प्रश्न था कि इतने बड़े जनमत को नकारकर फिर से चुनाव कराएं या जनमत का सम्मान करते हुए, कुछ मुद्दों पर सहमति बनाकर आगे बढ़ें । तीन साल प्रयास किया, जब लगा कि अब कठिन हो रहा है, हमने एक क्षण संकोच करे बिना सरकार छोड़ दी।
- बीजेपी कश्मीर में पीडीपी की पिछलग्गू क्यों रही? कभी किसी निर्णय का विरोध नहीं किया। समर्थन वापस लेने के बाद आप लोग ज्यादा मुखर हो रहे हैं।
A. हम सांझी सरकार चला रहे थे। कुछ मुद्दों पर विरोध करना था, वहां हमारे मंत्रियों ने खुलकर विरोध किया। जिन मुद्दों पर लड़ना था, जिन मुद्दों पर आग्रह करना था, वो भी किया। इसलिए आतंकियों को खत्म करने में सफल हुए।
- राज्य और केंद्र में भी आपकी ही पार्टी की सरकार रही, क्या बदलाव कश्मीर में लाने में सफल रहे?
A.बड़े पैमाने पर आतंकियों का सफाया किया। विकास के मामले में जम्मू में ज्यादा काम कर पाए। जहां शांति है, वहां काफी कुछ विकास का काम हमारे मंत्रियों ने किया है। वहां, बिजली, उद्योग, बुनियादी विकास, जम्मू की मुख्य नदी तवी नदी का सौंदर्यीकरण किया है। एम्स, आईआईटी, आईआईएम हम जम्मू लाए हैं। श्रीनगर और जम्मू दोनों को स्मार्ट सिटी घोषित किया है।
- कश्मीर में पहले दिन से ही बदनामी के अलावा कुछ नहीं मिला, ऐसा गठजोड़ क्यों किया?
A.गलत है। एक बहुत बड़े वर्ग ने सरकार को आशा के रूप में देखा कि भविष्य में बीजेपी जम्मू-कश्मीर में भी सत्ता में आ सकती है। इसके अपने फायदे हैं। जम्मू, लद्दाख के हित में और कश्मीर के लिए भी काम करने का मौका मिला।
- सर्जिकल स्ट्राइक बहुत अच्छा और साहसी कदम था, लेकिन फिर स्ट्राइक देखने को नहीं मिली?
A.सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जम्मू-कश्मीर में बाहर से घुसपैठ बहुत कम हो गई है। राज्य में कुछ आतंकी थे, उनको हथियार नहीं मिल रहे थे। आपने समाचार सुना होगा कि आतंकी ने वॉचमैन की राइफल छीनने की कोशिश की। वॉचमैन के पास तो थ्री नॉट थ्री की राइफल होती है, आतंकी उसे छीन रहा था, क्योंकि बाहर से हथियार आना बंद हो गए। पैसा भी नहीं आ रहा था। इसलिए आतंक पर काबू पाना भी आसान हुआ। एक समय कश्मीर में तीन हजार से ऊपर आतंकी घूमते थे, आज 300 भी नहीं हैं।
- 2019 चुनाव के लिए आपका लक्ष्य क्या है?
A. मैं जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों का कार्य देखता हूं। आंध्र मेरा गृह राज्य है। यहां प्रदर्शन अच्छा रहे यही कोशिश है। इन राज्यों में बीजेपी को वर्ष 2014 से भी ज्यादा सीटें मिलने वाली हैं।
- कितनी सीटें लाएंगे आप इन क्षेत्रों में?
A. नंबर तो अभी नहीं दूंगा, पर सर्वाधिक सीटें इन क्षेत्रों से लाएंगे। दक्षिण व पूर्वी भारत में बड़ी संख्या में सीटें जुड़ने वाली हैं। 282 से आगे बढ़ेंगे। ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, पूर्वोत्तर में संख्या बढ़ेगी। पूर्वोत्तर में अभी संख्या 8 है, हम 15 से अधिक सीटें लेंगे।
- पीडीपी के विधायकों का बड़ा वर्ग आपके संपर्क में है अभी। भविष्य में बीजेपी और पीडीपी से अलग हुए दल की सरकार देखने को मिलेगी?
A.(बीच में रोकते हुए) न कोई इस प्रकार का विचार है, ना प्रयास है। कुछ समय राज्य में गवर्नर रूल चाहिए। तीन फ्रंट पर जो काम संतुष्टि से हम नहीं कर पाए वो होना चाहिए, यही हमारा एक मात्र प्रयास है।
Published by Ram Madhav
Member, Board of Governors, India Foundation
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