Ram Madhav
September 13, 2022

शी जिनपिंग – माओ की तानाशाही और स्टालिन की क्रूरता का एक घातक संयोजन

Getting your Trinity Audio player ready...

(The article was originally published in Haribhoomi on September 13, 2022. Views expressed are personal.)

“राम माधव लिखते हैं, ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग ने अपने पूर्ववर्तियों के लोकतांत्रिक संयम को खत्म कर दिया है. दुनिया को एक चीनी सर्दियों के लिए खुद को तैयार करना चाहिए जो बेहद गर्म हो सकता है”

दस साल पहले, जब शी जिनपिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के महासचिव बने, तो कुछ लोगों ने उन्हें चीन का मिखाइल गोर्बाचेव कहा। कई लोगों को उम्मीद थी कि वह अपने पूर्ववर्तियों जियांग जेमिन और हू जिंताओ की उदारवादी नीतियों को आगे बढ़ाएंगे। एक कम्युनिस्ट सत्तावादी तानाशाही से, सीपीसी माओ के अधीन, धीरे-धीरे उदारवादी विचारों वाली पार्टी में बदल गई थी और शी जिनपिंग के पूर्ववर्ती नेतृत्वकर्ताओं के नेतृत्व में पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र और सामूहिक कार्यप्रणाली की झलक थी।

डेंग जियाओपिंग के अधीन चार महासचिवों के कार्यकाल के पश्चात नेतृत्व में आए शी जिनपिंग से भी ये अपेक्षा थी की वे उदारवादी विचारधारा के अजेंडा को आगे बढ़ाएँगे। दस वर्षों पश्चात जब वे नेशनल पीपल कांग्रेस के समक्ष अपने कार्यकाल को बढ़ाने के सम्बंध में अनुमोदन प्राप्त करने के लिए खड़े होंगे तब लोग उन्हें गोर्बाचेव के रूप में नहीं बल्कि माओ और स्टालिन के घातक संयोजन के रूप में देखेंगे।

पिछले दशक में, शी जिनपिंग ने न केवल डेंग की लोकतांत्रिक व्यवस्था को सावधानीपूर्वक नष्ट किया है, बल्कि अपने पिता से दूरी भी बना ली है, जिनकी लोकप्रियता शी के उदय का मुख्य कारण थी। सीपीसी में कई अन्य लोगों की तरह, शी भी एक “प्रिंसलिंग” हैं – यह अपमानजनक शब्द चीन में उन नेताओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो भाई-भतीजावाद और वंशवाद के कारण रैंकों में ऊपर उठते हैं।

परंतु इस प्रकार के बाक़ी नेताओं और शी जिनपिंग में एक मूलभूत अंतर है। शी जिनपिंग के पिताजी शी झोंगक्सुन को चीन में क्रांति के वर्षों और आधुनिक चाइना के निर्माण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए बहुत सम्मानपूर्ण दृष्टि से देखा जाता है। वे गुर्रिल्ला संघर्ष के समय माओ के प्रमुख  सहयोगी रहे और क्रांति के पश्चात विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किए। देंग शियाओपिंग की तरह ही शी झोंगक्सुन  भी अर्थव्यवस्था पर अपने उदारवादी विचारों के लिए जाने जाते थे और उन्हें भी माओ का कोपभाजन बनना पड़ा था। उन्हें कई बार पार्टी के प्रमुख पदों से हटाया गया,जेल में डाला गया और 1965 के पश्चात सश्रम दंड लगाकर छोड़ दिया गया।

शी झोंगक्सुन, माओ की मृत्यु के पश्चात डेंग के साथ पार्टी में वापस लौटे और नैशनल पीपल्स कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदाधिकारी बनाए गए। उनके द्वितीय पुत्र शी जिनपिंग  राजनीति में अपने पिता के योगदान की वजह से ही आगे बढ़े। डेंग के जमाने के पुराने नेताओं के आशीर्वाद की वजह से ही उन्हें 2007 में पार्टी की केंद्रीय समिति और बाद में महासचिव के पद पर उनकी पदोन्नति सुनिश्चित हुयी।

इस पद पर पहुँचने के साथ ही शी अपने पिता की छवि के विपरीत निकल कर आए और माओ की मृत्यु के तीन दशक पश्चात शी ने माओ के कार्यकाल की भयानक यादों को पुनर्जीवित कर दिया। माओ ने अपने व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द केंद्रित एक पार्टी संरचना का निर्माण किया तथा चापलूसों का एक समूह उन्हें नियंत्रित करता था। माओ कई बार हस्तलिखित पर्चियों के द्वारा पार्टी के बैठकों में अपना संदेश भेज दिया करते थे जिससे पार्टी के कई नेताओं का भविष्य अंधकारमय हो जाता था। वे बिना सोचे समझे पार्टी के महत्वपूर्ण निर्णय किया करते थे। जब 1978 में डेंग को नेतृत्व प्राप्त हुआ, तब उन्होंने इस व्यक्तित्व आधारित निरंकुश सत्तावाद को खत्म किया

उन्होंने शी जिनपिंग के चार पूर्ववर्ती – हू याओबांग, झाओ ज़ियांग, जियांग जेमिन और हू जिंताओ जैसे नेताओं की एक नई पीढ़ी का पोषण किया जो सामूहिक नेतृत्व और आर्थिक उदारवाद के लिए प्रतिबद्ध थे। डेंग  ने 1987 में कांग्रेस के लिए पदों की संख्या से अधिक उम्मीदवारों को भाग लेने की अनुमति देकर पार्टी में सीमित लोकतंत्र की शुरुआत की। उन्होंने राष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल का सिद्धांत भी पेश किया।

डेंग की इस विरासत को खत्म करते हुए शी जिनपिंग  ने माओ के अधिनायकवादी तथा स्टालिन के क्रूरता आधारित मॉडल को अपना लिया है। उसने एक निरंकुश नियंत्रणकर्ता राज्य की स्थापना कर ली तथा विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रहे हज़ारों पार्टी कार्यकर्ताओं का दमन कर दिया। भ्रष्टाचार पर कार्यवाही के नाम पर शी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर बदले की कार्यवाही कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता जैसे झोऊ योंगकाँग,सुन झेंगकाई, बो शिलाई और पोलिट ब्युरो के अन्य सदस्य ऐसे चार सौ नेताओं में शामिल हैं जो पिछले एक दशक में शी की बर्बरता का शिकार हुए हैं। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई किस प्रकार से खोखली है, यह इससे सिद्ध होता है की शी के प्रिय मित्र जिया किंगलिन जो की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य हैं और शी के उत्थान में जिनकी प्रमुख भूमिका है वे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद भी सुरक्षित बचे हुए हैं।

शी ने हर प्रकार के विरोध को कुचल दिया है और इंटरनेट की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया है। कभी बीजिंग में सेंट्रल पार्टी स्कूल में पढ़ाने वाले कै ज़िया जैसे आलोचकों को चीन छोड़ना पड़ा या जेलों में रहना पड़ा। शी ने आर्थिक और महामारी के मोर्चे पर अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए चकाचौंध भरे प्रचार का इस्तेमाल किया। उन्होंने स्टैंडिंग कमेटी में अपने विश्वासपात्र को स्थापित किया जिससे की एक और कार्यकाल प्राप्त करने में किसी प्रकार की दिक्कत ना हों। यहाँ तक कि चीनी सेना में भी शी ने उन अधिकारियों को हटा दिया जो उसके प्रति वफ़ादार नहीं थे और अपने वफ़ादार अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ कर दिया।

अगले माह जब शी पार्टी कांग्रेस का सामना करने और एक और कार्यकाल प्राप्त करने के लिए तैयार दिख रहे हैं तब भी अनिश्चितता बरकरार है । ली केकियांग जो की चाइना के प्रधानमंत्री हैं और शीर्ष पद के दावेदार हैं वे लगातार चुनौती प्रस्तुत कर रहे है ।झू रोंगजीं और वेन जियाबाओ जैसे अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत ली केकियांग हमेशा शी जिनपिंग  से दूरी बनाकर चलते हैं। कोविड महामारी के दौरान शी जिनपिंग  से उनके मतभेद जग ज़ाहिर हैं तथा चीनी जनता को इसके बारे में स्पष्ट रूप से पता है। पिछले मई में एक वर्चुअल संबोधन में केकियांग ने यह घोषणा की कि चीनी अर्थव्यवस्था बहुत ख़राब हालत में है जिससे शी जिनपिंग  के समर्थकों का गुस्सा भड़क उठा।

परंपरागत रूप से केंद्रीय सैन्य आयोग के नेतृत्व ने राष्ट्रपति को असीमित शक्ति प्रदान की है परंतु शी जिनपिंग को वहाँ भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी सूचना मिली है की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के उत्तरी जोन के कमांडर वांग कियांग को जनरल बनाए जाने का सेना में ज़बरदस्त विरोध हुआ और एक सीमित बग़ावत भी सेना में देखने को मिली।

यह स्पष्ट है की शी जिनपिंग द्वारा कोविड लॉकडाउन को जिस तरह से लागू किया गया उससे आम चीनी नागरिकों को बहुत अधिक कष्ट सहना पड़ा।चीन का सोशल मीडिया इससे संबंधित व्यंग्य से भरा पड़ा है। ऐसे ही एक सोशल मीडिया पोस्ट में एक सीपीसी मीटिंग का ज़िक्र है जिसमें चीन को अपने नेताओं से मुक्ति दिलाने की बात की गयी है।पिछले ही महीने नैन्सी पेलोसी के ताईपे दौरे को लेकर शी जिनपिंग को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

परंतु शी जिनपिंग किसी भी प्रकार से पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। अति राष्ट्रवाद उनका हथियार है। उन्होंने अमेरिका को चुनौती देते हुए कहा की चाइना “अजेय” है। वे ताइवान के साथ युद्ध के लिए तैयार हैं जिससे ऐसी शक्तियाँ उत्पन्न होंगी जो या तो शी जिनपिंग  के नेतृत्व को बौना कर देंगी या पूरे विश्व को एक खतरनाक युद्ध की ओर धकेल देंगे।

दोनों ही परिस्थितियों में विश्व को एक गरम और तनावपूर्ण चीनी सर्दी के लिए तैयार रहना चाहिए।

Published by Ram Madhav

Member, Board of Governors, India Foundation

Debate, without Demonising

Debate, without Demonising

September 13, 2022
RSS at 100

RSS at 100

September 13, 2022

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × 3 =